जाता हूँ दागे-फिराक़े-हसरते-हस्ती लिए हुए
हूँ शम-ऐ-कुश्ता, दरखुरे-महफ़िल नही रहा
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दाग - दर्द
फिराक - जुदाई
हस्ती - अस्तित्व
शम-ऐ-कुश्ता - बुझा हुआ चिराग
दरखुरेमहफ़िल - महफ़िल के योग्य
Friday, December 26, 2008
Wednesday, December 24, 2008
Asha'ar of the day
अर्ज़-ऐ-नियाज़-ऐ-इश्क़ के काबिल नहीं रहा
जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नही रहा
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अर्ज़ - कहना, याचना करना
नियाज़ -> इच्छा
जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नही रहा
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अर्ज़ - कहना, याचना करना
नियाज़ -> इच्छा
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